काँच कैसे बनाया जाता है एव इसके प्रकार।

                  काँच से बनने वाले आईनों में आप भी अपने आप को निहारा करते होंगे और कांच से बनी सुन्दर, चमकती हुयी नाज़ुक चीज़ें भी आपको अपनी ओर आकर्षित करती होंगी और ऐसे ही कभी आपके मन में ये ख्याल भी आता होगा कि कांच जैसी ये नाज़ुक चीज़ आखिर बनती कैसे है ? ऐसे में, आइये आज आपको बताते हैं काँच कैसे बनाया जाता है और यह कितने प्रकार का होता है।


                 आपको ये जानकर शायद हैरानी होगी कि कांच रेत से बनता है क्योंकि कांच बनाने के लिए सबसे ज़रूरी पदार्थ होता है सिलिका, जो रेत का अभिन्न अंग है। ये सिलिका प्रकृति में मुक्त अवस्था में मिलता है और सिलिकेट यौगिकों के रूप में भी पाया जाता है। सिलिका सबसे ज़्यादा क्वार्ट्ज़ के रूप में पाया जाता है। कांच बनाने के लिए सबसे उपयुक्त वही बालू मिट्टी होती है जिसमें सिलिका की मात्रा कम से कम 99 प्रतिशत हो।
                 कांच बनाने के लिए रेत के साथ कुछ और सामग्री को मिलाकर एक भट्टी में 1500 डिग्री सेल्सियस पर पिघलाया जाता है और फिर इस पिघले हुए कांच को खांचों में बून्द-बून्द करके उड़ेला जाता है ताकि मनचाही चीज़ बनायी जा सके।

Example:-
                  इसे बोतल के उदाहरण से समझा जा सकता है। मान लीजिये कि कांच की एक बोतल बनायी जानी है। ऐसे में खांचें में पिघला कांच डालने के बाद बोतल की सतह पर और काम किया जाएगा और उसे फिर एक भट्टी से गुज़ारा जाएगा और उसके बाद कांच की बोतल बनकर तैयार होगी।
               

 जिस कांच के रंग-बिरंगे रूप और हैरान कर देने वाले आकार हम आज देखा करते हैं, उस कांच का इतिहास काफी पुराना है। कांच का आविष्कार मिस्र में लगभग ढ़ाई हज़ार साल ईसा पूर्व हुआ था। शुरुआती दौर में इसका इस्तेमाल साज-सज्जा के लिए किया गया और ईसा से करीब डेढ़ हजार साल पहले कांच के बरतन भी बनने शुरू हो गए। धीरे-धीरे कांच को मनचाहे आकार में ढाला जाने लगा और आज कांच ढ़ेरों आकारों और रूपों में हमारे सामने मौजूद है।

कांच के प्रकार:-
 बाजार में काँच के अनेक प्रकार उपलब्ध है। इसके साधारण खिड़की के शीशे से लेकर गोली रोधी कांच के रूप में, विभिन्न अनुप्रयोग होते है। कुछ प्रकार के काँच और उनका उपयोग नीचे वर्णित किया गया है।

(i) सोडा काँच या मुलायम काँच -
                               यह साधारणतया प्रयोग होने वाला सस्ता, निम्न वर्ग का काँच होता है। कुल उत्पादित काँच का यह 95: होता है और यह रेत (सिलिका), कैल्शियम कार्बोनेट (चूना पत्थर) और सोडा राख (Na2CO3)के संगलन द्वारा बनाया जाता है। इसका अनुमानत: Na2O.CaO.6SiO2 संघटन होता है। 70-74%SiO2, 8-13% CaO और 13-8% Na2O होता है। Al2O3 लगभग 2% अशुद्धता के रूप में हो सकता है। इसके कम ताप पर ही नर्म हो जाने के कारण इसे मुलायम काँच कहते हैं। सोडा काँच का अनुप्रयोग खिड़कियों के शीशे, बोतल, बर्तन और बिजली के बल्ब आदि बनाने में होता है।

(ii) लैड काँँच या फ्लिन्ट काँच -
                           लैड काँँच या फ्लिन्ट काँच को लिथार्ज (Pbo),पोटेशियम कार्बोनटे , सोडा राख, चूना पत्थर और सिलिका को उचित अनुपात में संगलित करके बनाया जाता है। इसका अनुमानत: संघटन है। K2O. Pbo.6SiO2 इसमें लगभग 45% सिलिका और विभिन्न मात्राओं में Pbo,Na,O2,k2O और CaO होता है उच्च लैड मात्रा वाली काँच का उपयोंग X- और Y- किरणों से बचाने के लिए ढाल के रूप में होता है। इनका उपयोग उन भवनों में होता है जहाँ पर X- किरणों और Y-किरणों के प्रस्फुरण स्थापित होते है। नाभिकीय स्थापत्यों में नाभिकीय विकिरणों से बचाव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। इन अनुप्रयोगो के अलावा, लैड काँच - प्रकाशिक यंत्रो के संघटक जैसे लेन्स, क्रिस्टल का सामान, कृत्रिम और सजावट के जेवरात, कृत्रिम बहुमल्य पत्थर और विघुत कुचालक आदि बनाने में अत्यधिक प्रयोग होता है।

(iii) सुदृढ़ (या टेम्पर्ड) काँँच - 
                             यह काँच का कोर्इ विशेष प्रकार नहीं है बल्कि काँच की वस्तु का एनीलिंग से पहले किया गया एक प्रक्रम है। काँच के गर्म पात्र को ठंडे तेल में डुबोया जाता है। पात्र की बाहरी सतह सिकुड़ कर सख्त हो जाती है जबकि अन्दर की परत पर खिंचाव रहता है। जब पष्ठ को तोड़ा जाता है तो वह टुकड़ो में बिखर जाता है। यह प्रक्रम काँच की टेम्परिंग कहलाता है। यह बहुत दृढ़ और प्रबल काँच होता है और यान्त्रिक और तापीय आघात को सहन कर सकता हे। इस प्रकार का काँच स्वचालित दरवाजों, बड़े शोकेसों आदि में प्रयोग होता है। सुदृढ़ काँच कारों, ट्रकों और वायुयानों के वात परिरक्षी शीशे (wind shields) के लिए प्रयोग होता ळें

(iv) स्तरित सुुरक्षा काँँच - 
                         इसे समतल काँच की दो-तीन पर्तो के बीच पॉलीविनाइल ब्यूटाइल प्लास्टिक या विनाइल एसिटेट रेसिन की पतली परत और पारदर्शी आसंजक से आपस में चिपका कर या दबाकर बनाया जाता है। इन्हें ताप और दाब के अचानक बदलाव को सहन कर सकता है। टूटने पर काँच के टुकड़े बिखरते नहीं हैं अर्थात् बिखरनरोधी हो जाते है। इस प्रकार का काँच आगमन द्वार, आकाशीय (छत) प्रकाश, फिसलन वाले (स्लाइडिंग) दरवाजे और ऊँचे भवनों की ढलवाँ दिखती खिड़कियों आदि के लिए उत्तम पदार्थ है। यह कारों और स्वचालित वाहनों के वात परिरक्षी शीशों में भी अनुपयोग होता है। यदि काँच की अनेक पर्तो का विनाइल रेसिन की एकान्तर परत के साथ संघनन किया जाता है तो गोली रोधी काँच प्राप्त होता हैं।

(v) कुचालक काँच - 
                            ताप द्वारा सिरे से सील की गर्इ दो काँच के बीच कोर्इ कुचालक पदार्थ जैसे जलरहित (या शुष्क) वायु भरने से कुचालक काँच प्राप्त किया जा सकता है। इस प्रकार की काँच संरचनाओं को उन भवनो में प्रयोग किया जाता है जिनके अंदर के तापमान को बाहर की भीषण जलवायु से अप्रभावित रखा जाता है। बहुत खराब मौसम वाली स्थिति में तीन काँच फलकों और दो कुचालक की परत वाले मॉड्यूल का प्रयोग किया जाता है। ऐसे मॉड्यूल गर्मियों में कमरे को ठंडा और सर्दियो में गरम रखते हैं।

ऊपर दिए गए प्रकारों के काँच मेंज पर सजाने, रायायनिक अभिकमर्कों को रखने और काम करने के पात्र, प्रकाशीय लेन्स, धूप के चश्में, कैथोड रे - ट्यूब, नीयोन लाइट और अन्य कोर्इ अनुप्रयोगों में काम आते हैं।

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